Description
मेरे द्वारा लिखी और प्रकाशित पहली पुस्तक ‘‘खामोश ज्वालामुखी’’की सफलता के बाद इच्छा हुई कि और कहानियाँ लिखी जाएँ अतः दो माहों में 12 कहानियाँ और एक लघु-नाटिका लिखी गई जो प्रकाशन के बाद आपके कर-कमलों में समर्पित है आशा है इस पुस्तक को भी आपका स्नेह मिलेगा। मैं मानता हूँ कि कहानियों के लेखन के अलावा कविता, कुण्डली, गीत-भजन, दोहे, शोर, नज़्म, ग़ज़ल, जिस ओर भी मैंने प्रयास किया बड़ी तीव्रता से रचनाएँ बनती चली गईं, यह सब माँ सरस्वती जी की कृपा और मेरी माँ के आशीर्वाद से ही सम्भव हो सका है क्यों कि एक माह में 210 नीतिपरक कुण्डलियो का लिखा जाना, चार माह में पहली पुस्तक खामोश ज्वालामुखी का लिखा जाना, लगभग एक वर्ष में 40 ग़ज़ल और 1100 शेर का कहा जाना, दो माह में इन बारह कहानियों का लिखा जाना तथा 3 वर्षों में 5 पुस्तकों का मेरे द्वारा कम्प्यूटर में कम्पोज करने के बाद प्रकाशन करवाना, मेरे वश का कहाँ था?











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