Description
किताब के बारे में
‘रहबर’ ग़ज़लों का एक हसीन मुजतमा है। मोहब्बत, बेवफाई, दोस्ती, फरेब, इन्सानियत, जुल्मत, रूहानियत, गुमराही जैसे कई मौज़ू पे बेहतरीन ग़ज़लों से भरपूर है। जिंदगी में कामयाबी हासिल करने के लिए एक रहबर का होना जरूरी है। जो कदम कदम पे अपकी रहबरी करें, आपको सही और ग़लत की पहचान कराए। दुनिया का हर शख्स मुसाफिर है, जो अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए दिन रात मेहनत व मुशक्कत करता है मगर मंजिल हर आदमी के नसीब में नहीं होती । लेकिन अगर कोई रहबर हो तो यह काम बहुत आसान हो जाता है। चाहे दुनिया हो या दीन, कामयाबी के लिए रहबरी तो लाजिमी है। नकशे-मंजिल नहीं, न कोई हमसफ़र है, बंदा है मुसाफ़िर, जिंदगी ईक सफ़र है । राहे – ईश्क में हरगिज नहीं देखा जाता, साथ चलने वाला रहज़न है या रहबर है । माशुक कातिल है, कातिल ही माशुक, वही मरहम लगाए यां जो मारता
खंजर है। इक खुदा के वास्ते, कितने रहबरी के रास्ते, फिर है दैर व हरम, फिर वही मंज़र है। रहबरो ने मिलकर क्या खुब रहबरी करली, कि आज पुरी कौम किस कदर दरबदर है।
शायर का ताररूफ
रेहमत अली रमजु शेख का जन्म मुबंई शहर में हुआ था । उन्होंने मुबंई महाविद्यालय से B.A पास की है, इतिहास, फलसफा और अंग्रेजी साहित्य में । वे अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में कविताएँ लिखते हैं। उनकी पहली अंग्रेजी कविता की किताब “Rainbows of Her Memories” दिसंबर, 2013 में प्रकाशित हुई थी। वे अब तक कई पुस्तक लिख चुके हैं। उनकी शायरी में जिंदगी के फलसफे, इतिहास, तर्कसंगत और रूहानीयत साफ तौर पर देखने को मिलती है। उनकी अधिक तर कविताएँ रोमांटिक और प्रेम से भरी हुई है।
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