Himalaya Garima: Mandee Ka Sanskritik Vaibhav | Travelogue | Fiction | Fiction Travel Writing | Travel Book Fiction | Story on Travel | Story on Himalaya

 425.00

Description

डॉ. हिमेन्द्र बाली हिमाचल प्रदेश के सुपरिचित लेखक हैं। प्रदेश के इतिहास, लोक साहित्य, लोक संस्कृति और देव परम्पराओं पर इनके शोधात्मक लेख  देश की लब्धप्िरतष्ठ पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित होते रहे हैं। हिमाचल के शिमला जिले की कुमारसैन तहसील के अंतर्गत चेकुल गांव में 20 दिसम्बर 1967 में वैद्य भूषण स्वर्गीय श्री सुख नन्द बाली और श्रीमती प्रेम दासी बाली के घर जन्मे डॉ. हिमेन्द्र बाली तीन दशकों से इतिहास-संस्कृति के अन्वेषण और साहित्यिक साधना में रत हैं। इनका प्रथम काव्य  संग्रह ’प्रभाष’ 2006 में प्रकाशित हुआ। लघु कथा संग्रह ’सिमटता आसमान’ 2018 में प्रकाशित हुआ। शोधपरक ’हिमालय गौरवः हिमाचल प्रदेश भूगोल एवम् इतिहास’ पुस्तक 2020 में प्रकाशित  र्हुइं। ’हिमालय गरिमाः मण्डी का सांस्कृतिक वैभव’ नामक यह शोधपरक पुस्तक इनके पी.एच.डी शोध प्रबंध का परिवर्द्धित रुप है।  डॉ. हिमेन्द्र बाली वर्तमान में शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य पद 2011 से सेवारत हैं।

हिमाचल प्रदेश के केन्द्र में स्थित मण्डी जिले के इतिहास और संस्कृति पर आधारित ’हिमालय गरिमाः मण्डी का सांस्कृतिक वैभव’ एक शोधपरक पुस्तक है जिसमें हिमालयी संस्कृति का तथ्यात्मक विवरण सन्निहित है। प्रदेश के केन्द्र में अवस्थित मण्डी प्रागैतिहासिक, वैदिक, पौराणिक और महाकाव्यकालीन अनेकानेक घटनाओं का साक्षी रहा है।यहां प्रचलित लोक साहित्य व परम्पराओं में क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर के विराट दर्शन होते हैं। मूलतः मण्डी जिला पूर्ववर्ती सुकेत और मण्डी रियासतों के 15 अप्रैल को भारतीय संघ में विलय के परिणामस्वरुप अस्तित्व में आया। मण्डी प्राचीन काल से पंजाब के मैदानी भाग को मध्य एशिया से जोड़ने वाले विख्यात रेश्म मार्ग पर स्थित था जिस कारण यहां के धर्म व संस्कृति पर बौद्ध धर्म का प्रभाव द्रष्टव्य है। वैदिक नदियों- सतलुज और ब्यास के किनारे बसे मण्डी के इतिहास व संस्कृति को वृहद आयाम प्रदान करती यह पुस्तक शोधार्थियों, संस्कृति पोषक एवम् आम पाठकों को बहुपयोगी सिद्ध होगी।

You may also like…